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पुतला दहन शमशान में करें !

अभ्युदय
अभ्युदय
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एक चौराहे पर,
हो रहा था एक नेता का पुतला दहन |
चारों तरफ ट्रैफिक जाम,
मैंने पूंछा – यह क्या है ?
भीड़ से जबाब आया –
एक भ्रष्ट राजनेता –
जिसने देश के साथ गद्दारी की,
जनता का शोषण किया –
उसके पुतले को जला रहे हैं |
विचारधारा चल पड़ी………..
पुतला तो प्रतीक मात्र है ,
जब असली प्रतीक की –
संवेदना, उसकी नैतिकता
पहले से ही खाक हो चुकी हों
तब, क्या होगा पुतले को जलाने से ?
– क्या आपने शव को
पानी में डूबा हुआ देखा है कभी ?
क्यों वह उतराता रहता है पानी पर ?
क्योंकि
उसको डूबने के लिए जीवन चाहिए |
जल में डूबना -प्रमाण है जीवन्तता का |
जब जीवन ही नही तो –
जल उसे डुबोकर क्या करेगा ?
जब शव को बलात जल में
डुबोकर जीवित नही किया जा सकता
तो फिर –
इस पुतले को जलाकर –
हम उसके असली प्रतीक की
नैतिकता को जगा पाएंगे क्या ?
– शायद नही , क्योंकि
जगाने के लिए उसके अन्दर
कुछ शेष, प्रमाणित नही |
गाड़ियों के हार्न की आवाज से
विचारधारा टूटी |
चौराहे पर भीषण जाम का आलम …|
लोग–आकुल…व्याकुल… |
किसी को इंटरव्यू तो किसी को –
मेडिकल हैल्प की जल्दी |
———–मैंने चिल्लाकर कहा –
अरे! पुतला जलाना है, तो
शमशान में जाकर जलाओ |
वरना
इस भीड़ में फंसे कई मरीज
शमशान पहुंच जायेंगे |
पुतले का असली प्रतीक,
अन्दर से मुर्दा हो चूका है
और
मुर्दे शमशान में ही जलाये जाते हैं |
वास्तव में
पुतले के असली प्रतीक ने तो
शायद लोगों का शोषण और
उनसे विश्वासघात ही किया होगा,
परन्तु क्या
हम उसका, इस तरह दहन करके –
आमजन के कातिल –
उनका रोजगार छीनने के
दोषी नही बनते…………..????????

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