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सेरोगेट मदर;एक विज्ञान कथा

अभ्युदय
अभ्युदय
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वर्तमान में विज्ञान ने जितनी प्रगति की उतना ही व्यक्ति के नैतिक मूल्यों में गिरावट आई है | इस कहानी में नारी के दो रूपों का वर्णन है एक जो आधुनिकता की अंधी दौड़ में शामिल है और दूसरी वह जिसमें आज भी भारतीय संस्कृति की झलक दिखती है |

पस्तुत है एक विज्ञान कथा :

मधु ! हमारी शादी को पांच साल हो गये हैं, अब हमे इस बात पर राजी हो जाना चाहिए कि हमारी बगिया में भी एक नन्हा सा फूल खिले | रोहन ने अपनी पत्नी मधु से भावुक होकर कहा तो मधु भड़क उठी- ‘ आप क्या चाहते हो मैं कली न रहकर तुम्हारे लिए फूल खिलाऊँ | मुझसे क्या बच्चा पैदा करने के लिए ही तुमने शादी कि थी ?
‘ यह तुम क्या कह रही हो मधु ?, क्या तुम सम्पूर्णता नहीं चाहती ? …….तुम जानती हो -नारी कि सम्पूर्णता माँ बनने में ही है | फिर हमारी करोड़ो कि संपत्ति है , इसका कोई वारिस होना चाहिए या नही….|’ रोहन उद्धिग्न हो उठा था |
‘ यह सब ख्याली व् पुरानी विचारधाराएँ हैं कि नारी कि सम्पूर्णता माँ बनने में ही है | मैं नही मानती ऐसी मान्यताएं |’
‘ मधु, समझने कि कोशिश करो , सोचो कल को मुझे कुछ हो जाये तो तुम किस के सहारे रहोगी |’
‘ मुंझे सहारे कि जरूरत नही है, और आप कान खोलकर सुन लें कि मैं अभी माँ बनकर समय से पहले बूढी नही होना चाहती |’
‘ मैं मानता हूँ मधु , कि तुम आधुनिक परिवेश में पली-बढ़ी हो , विदेश में शिक्षा ग्रहण की है तुमने परन्तु इसका मतलब यह तो नही कि तुम अपनी संस्कृति,परम्पराओं व् नैतिक मूल्यों से ही विमुख हो जाओ | मैं तुम्हारा पति हूँ ………………..|’
रोहन अपना वाक्य पूरा भी नही कर पाया था कि मधु बीच में ही बोल पड़ी —
‘ आप मेरे पति हैं, इसका मतलब यह नही कि मैं आपके हर निर्णय से सहमत हो जाऊँ | आप पुरुष हैं पर हमें समानता का पूरा अधिकार है, मैं आपकी दासी नही बन सकती |’
तैश में आकर मधु ने कहा तो रोहन इस विषय को आगे न बढ़ाने कि गरज से दुसरे कमरे में चला गया | वह कोस रहा था उस दिन को जब उसने मधु को अपनी पत्नी के रूप में स्वीकार किया था | हालाँकि ऐसा नही था कि दोनों में प्रेम न हो परन्तु यही एक ऐसा विषय था जिस पर दोनों कि सहमती नही बन पा रही थी | रोहन मधु के प्रति अपनी जिम्मेदारी समझता था, वह चाहता था कि जल्द ही उसका वारिस आ जाये परन्तु मधु स्वछन्द विचारों कि लड़की थी वह जिन्दगी को मौज-मस्ती व् ऐशो आराम से जीना चाहती थी , वह सिर्फ वर्तमान में जीती थी , भविष्य उसके लिए कोई मायने नही रखता था , परन्तु रोहन भविष्य के प्रति सजग था |इस विषय पर दोनों के विचारों में असमानता होते हुए भी रोहन इस बात से आश्वस्त था कि मधु को एक न एक दिन समझ आ ही जाएगी | वह तैयार होकर ऑफिस के लिए निकल पड़ा|
‘ नाश्ता नही करोगे आज ? ‘ मधु ने कहा |
‘ भूख नहीं है ‘ रोहन ने कहा और ब्रीफकेस उठाकर चल दिया |
मधु रोहन के सामने खड़ी होकर अपने दोनों हाँथ रोहन के गले में डाल दिए- ‘ सारी, मैं कुछ ज्यादा ही बोल गयी | पर मै वादा करती हूँ कि शाम को इस विषय पर चर्चा करके हम कोई न कोई हल जरुर निकालेंगे |’
मधु का बदला हुआ मिजाज देख कर रोहन भी शांत हो गया और कुछ आश्वस्त भी हुआ कि शायद शाम तक मधु सोच-विचारकर राजी हो जाये |
********** दिन भर मधु इस विषय को लेकर सोचती रही | अभी वह टेबल पर पड़ी पत्रिकाओं को उल्ट-पुलट रही थी अचानक एक विज्ञापन पर नजर पड़ी — ” आवश्यकता है एक सेरोगेट मदर की | इच्छुक महिलाएं संपर्क करे |” मधु की आँखें चमक उठीं वह बेसव्री से शाम होने का इंतजार करने लगी |
************ डिनर का दौर चल रहा था | रोहन अभी सुबह वाली बात को शुरू कर माहौल में नीरसता नहीं लाना चाहता था , वह चाहता था कि इस विषय पर मधु ही पहल करे | उसकी सोच सकारात्मक रही , खाने के बीच में ही मधु ने कहा —
‘ रोहन ! क्या ऐसा नहीं हो सकता कि हम सेरोगेट मदर के माध्यम से अपनी इच्छा पूरी कर लें |’
‘ व्हाट………, तुम कहना क्या चाहती हो हो मधु | रोहन चौंक उठा |
‘ इसमें बुराई ही क्या है ? अब जमाना बदल गया है , फिर बच्चे के जैविक माँ-बाप तो हमीं रहेंगे |’
सेरोगेट मदर……………. यानि ” किराये कि माँ की कोंख |” रोहन का सर भन्ना गया |
‘ मुझे सोचने का समय दो मधु , इतना बड़ा निर्णय मैं इतनी जल्दी नही ले सकता |’
‘ आराम से सोचिये , जल्दी मुझे नहीं , आपको है |’ मधु ने व्यंगात्मक लहजे में कहा |
*********** रोहन को नींद नहीं आ रही थी | उसे मधु से ऐसी उम्मीद नही थी | वह बार-बार करवट बदल रहा था एक ही बात उसके जेहन में गूंज रही थी —-‘ सेरोगेट मदर……… किराये की कोंख ….|’
‘ क्या मेरा बच्चा किराये की कोंख में पलेगा ? ‘ उसने स्वयं से प्रश्न किया |
‘ अन्य कोई रास्ता भी तो नहीं है | मधु को मैं छोड़ नही सकता, अंततः रोहन ने मधु की बात में ही सहमती दे दी | सोंचा कोंख ही तो किराये की होगी बच्चे के जैविक माँ-बाप तो हमीं होंगे | मधु की जिद भी पूरी हो जाएगी और हमें संतान भी मिल जाएगी |’
*********** रोहन ने एक निजी अस्पताल में कार्यरत अपने मित्र डॉ. मनीष के सामने यह बात रखी तो वह इस पर सहर्ष तैयार हो गया |
‘ सेरोगेट मदर कौन होगी ?’ डॉ. मनीष ने पूंछा |
‘ उसका तो अभी चयन होना बाकी है |’ रोहन ने कहा |
डॉ. मनीष – ‘ वैसे कई पेशेवर सेरोगेट मदर हमारे कान्टेक्ट में हैं , यदि आप चाहे ……..’ डॉ. अपनी बात पूरी भी नही कर पाया था, रोहन बीच में ही बोल पड़ा ———
‘ नहीं .. डॉ. मनीष , हमें पेशेवर सेरोगेट मदर नहीं चाहिए, हम उसकी व्यवस्था स्वयं करेंगे |’
************** अगले दिन शहर के प्रमुख समाचार पत्रों में ” आवश्यकता है एक स्वस्थ्य, सुन्दर सेरोगेट मदर की ….संपर्क करें – रोहन मल्होत्रा ……………|” विज्ञापन छप गया |
*********** अचानक श्यामू की तवियत ज्यादा ख़राब हो गयी ,यूँ तो वह कई महीनों से खाट पकड़े हुए था, परन्तु आज उसकी तवियत कुछ ज्यादा ख़राब थी | उसकी पत्नी महिमा उदास-सी बैठी थी | बगल वाले डॉ. साहब दवा लिख कर दे गये थे परन्तु घर में इतने पैसे नहीं थे कि वह दवा ले आती | पैसे आते भी तो कहाँ से एक श्यामू ही तो था कमाने वाला | अभी उम्र ही क्या थी उसकी , चार वर्ष पहले ही तो विवाह हुआ था | प्राइवेट कंपनी में काम करता था महीने कि पगार से दोनों पति-पत्नी का खर्च आराम से चल रहा था परन्तु जब से वह बीमार पड़ा तब से खाने को लाले पड़ गये थे |महिमा ने सोचा शायद आज और मेडिकल स्टोर वाला दवा उधार दे दे , यही सोचकर वह उठी और मेडिकल स्टोर की ओर चल दी | काफी मिन्नतों के बाद स्टोर मालिक ने उसे दवा दे दी |
श्यामू को दवा देने के बाद वह पास में पड़ी कुर्सी पर बैठ गयी | श्यामू की हालत में कुछ सुधार आया तो वह पास पड़े अखवार जो शायद डॉ. छोड़ गये थे को उठाकर लेटे-लेटे पढ़ने लगा | उसकी विज्ञापन पर नजर पड़ी वह कुछ सोंचने लगा फिर महिमा को बुलाकर उसने वह उसे भी पढ़ाया |
‘ महिमा , मेरे बाद तुम्हारा क्या होगा , तुम्हारी जिन्दगी कैसे कटेगी |? ‘
‘ प्लीज, ऐसी अशुभ बातें मुंह से न निकालिए , आप जल्दी ही स्वस्थ्य हो जायेंगे | ‘
‘ महिमा एक बात कहूँ , तुम बुरा तो नही मानोगी ?
‘ कहिये !
‘ तुम एक बार इस विज्ञापन दाता के यहाँ जाकर देख लो , रोहन मल्होत्रा बहुत बड़ा आदमी है …..इतना पैसा जरुर मिल जायेगा की तुम्हारी जिन्दगी उसके व्याज से ही कट जाएगी |’
‘ यह आप क्या कह रहे हैं , महिमा ने आश्चर्यमिश्रित स्वर में कहा |
‘ हाँ महिमा , जब लोग मकान, कर, कपड़े आदि किराये पर दे देते हैं तो तुम यह क्यों नही कर सकती | मेरा कोई भरोसा नही – आज हूँ , कल नही | परन्तु तुम्हारे कल का क्या होगा ? यदि तुम्हे यह अवसर मिल जाये तो तुम्हारी जिन्दगी आराम से कट जाएगी | ‘ श्यामू ने कहते-कहते बेबसी से अपनी आँखें बंद कर लीं , दो मोती उसकी आँखों से निकल कर गालों पर ढलक आये थे |
‘ ठीक है , मैं यह करूंगी लेकिन अपने लिए नही ; आपके लिए ‘ महिमा ने कहा |
************ रोहन के ऑफिस के बाहर चार-पांच महिलाएं बैठी थी | अन्दर रोहन के साथ डॉ. मनीष भी थे | एक-एक कर महिलाएं साक्षात्कार के लिए जा रही थीं , महिमा का चौथा नम्बर था | नम्बर आने पर वह अन्दर पहुंची —
‘ क्या नाम है आपका ?’ रोहन ने पूंछा |
‘ जी , महिमा , उसने धीरे से कहा |
‘ क्या करती हो ?’
‘ हॉउस वाइफ हूँ ‘
‘ सेरोगेट मदर बनने के लिए कितना पैसा चाहिए तुम्हे |’
महिमा की आँखों में आंसू आ गये | वह धीरे से बोली –‘ मेरी शादी को चार वर्ष हो गये , मैं अभी माँ नही बन सकी , यह मेरा दुर्भाग्य है – मुझे अपनी कोंख की कीमत नही चाहिए | मैं एक मजबूर औरत हूँ , आप मेरे पति के इलाज का जिम्मा ले लीजिये और मैं आपके बच्चे को जनने के लिए तैयार हूँ |’ महिमा ने बेबसी परन्तु बेबाकी से कहा तो उसके यह शब्द रोहन के ह्रदय को छू गए | उसने डॉ. मनीष की तरफ देखा फिर महिमा की तरफ देखकर बोले -‘ठीक है , आप अपने घर का पता दे दीजिये और जाईये |’
*********** अगले दिन रोहन डॉ. मनीष के साथ महिमा के घर पहुंच गया | डोरबेल बजी तो महिमा ने दरबाजा खोला – सामने रोहन को देख चौंक गयी – ‘ आप ?’
‘ हाँ , मैं …. कहां हैं आपके पति, डॉ. साहब उन्हें देखना चाहते हैं |’
श्यामू का इलाज एक अच्छे अस्पताल में शुरू हो गया था | वह महिमा को कृतज्ञतापूर्वक देख रहा था |
‘ यह क्या किया पगली , मुझे ठीक कराके तुझे क्या मिलेगा , अब तो मुझे वह नौकरी भी नही मिलेगी |’
‘ आप मेरे पति हैं , आप सलामत रहे बस , और मुझे कुछ नही चाहिए |’
श्यामू को गर्व हो रहा था अपने भाग्य पर जो उसे महिमा जैसी संस्कारित पत्नी मिली थी |

************ कुछ औपचारिकताओं तथा महिमा का चेकअप होने के बाद गर्भाधान की प्रक्रिया शुरू हो गयी थी | रोहन और मधु के भी विभिन्न चेकअप हुए | जाँच रिपोर्ट आने के बाद डॉ. मनीष ने देखा कि रोहन के स्पर्म डैमेज हैं | वह कुछ असामान्य सा हो गया | रोहन को यह बात बतानी आवश्यक थी ,परन्तु डॉ. मनीष अपने मित्र का दिल दुखाना नही चाहता था लेकिन अन्य कोई रास्ता भी तो नही था | आखिर उसे रोहन को सब कुछ बताना पड़ा |
‘ यह क्या कह रहे हो मनीष ? क्या मैं कभी बाप नहीं बन सकता | रोहन अवाक् रह गया था |
‘ एक रास्ता है रोहन , – मनीष ने कहा |
‘ क्या ?’
‘ तुम्हारे स्पर्म कि जगह किसी डोनर के स्पर्म को मधु के जाइगोट से फर्टीलाइज करा दिया जाये | आम तौर पर जो व्यक्ति संतान उत्पन्न करने में अक्षम हैं , वे यही प्रक्रिया अपनाकर संतान सुख भोग रहे हैं |’
डॉ. मनीष ने समझाया तो रोहन भी सोचने पर विवश हो गया |
************* श्यामू के स्वास्थ्य में तेजी से सुधार हो रहा था, दो-चार दिनों में वह अस्पताल से डिस्चार्ज होने वाला था |
आखिर वह दिन भी आ गया जब वह पूर्णतया स्वस्थ्य होकर घर जाने कि तैयारी में था | डॉ. ने सारे चेकअप करके उसे पुर्णतः स्वस्थ्य घोषित कर दिया था | श्यामू की आँखों में नई जिन्दगी की चमक थी, और थी महिमा के प्रति कृतज्ञता |
अचानक श्यामू के वार्ड में रोहन ने प्रवेश किया | रोहन को सामने देख श्यामू अपने बेड से उठ कर खड़ा हो गया तब तक रोहन उसके करीब आ चूका था |
‘ अरे श्यामू लेटे रहिये ‘ रोहन ने उसके कंधे पकड़कर बेड पर बिठाते हुए कहा और स्वयं पास पड़ी कुर्सी पर बैठ गया |
‘ अब तो आप बिलकुल स्वस्थ्य हो गये हैं |’
श्यामू :– ‘जी, यह आपकी ही मेहरबानी है , रोहन बाबू ; आपका यह उपकार मैं जिन्दगी भर नही भूलूंगा |’
रोहन :–‘ मैंने आप पर कोई उपकार नही किया , आपका इलाज तो एक समझौते के तौर पर मैंने कराया है, लेकिन क्या आप मुझ पर एक उपकार करेंगे ?’ रोहन एक ही साँस में कह गया |
श्यामू :–‘ एक गरीब भला किसी का क्या उपकार कर सकता है ?’ श्यामू आश्चर्यचकित था |
रोहन :– ‘ कर सकते हो मेरे दोस्त,परन्तु ………………….|
श्यामू :– ‘ जब दोस्त ही कह दिया तो संकोच कैसा रोहन बाबू, यह जिन्दगी आप की दी हुयी है , अब यदि आप इसे भी मांगेंगे ,तो मैं सहर्ष तैयार हूँ |’
रोहन :– ‘ पहले वादा करो कि इस उपकार को आप गोपनीय रखेंगे , इसे हम दोनों के अतिरिक्त अन्य कोई नही जानेगा , यहाँ तक महिमा भी नहीं |’
श्यामू :– ‘ वादा रहा , परन्तु ऐसी क्या बात है ? बताओ तो सही |
रोहन :– ‘ क्या आप मेरे बच्चे के लिए अपने स्पर्म मुझे डोनेट करेंगे ?’
श्यामू चौंक पड़ा —– ‘इसमें कौन सी बड़ी बात है, परन्तु आप………|
‘ मैं बाप नहीं बन सकता , क्योंकि मेरे स्पर्म डैमेज हैं |’ रोहन के शब्दों में वेदना थी |
‘ ओह , आप चिंता न करें रोहन बाबू मैं यह कम करूँगा और पूर्ण गोपनीयता के साथ करूंगा |’ श्यामू के शब्दों में द्रढ़ता के भाव थे |
********** श्यामू के शुक्राणु को मधु के अंडाणु से निषेचित कराकर भ्रूण को महिमा के गर्भाशय में सफलता पूर्वक स्थापित कर दिया गया | डॉ. मनीष अपनी इस सफलता पर काफी प्रसन्न था | मधु भी खुश थी ,परन्तु रोहन अवसाद में डूबा हुआ था |
************** रोहन का पैर अपनी कार के एक्सीलेटर पर था परन्तु अवसाद का घना कोहरा उसके दिलो दिमाग पर छाया हुआ था | वह इस बात को ही भूल गया था कि वह ड्राइव कर रहा है ,ऐसी परिस्थिति में जिस बात की आशंका होती है वाही हुआ | रोहन का एक्सीडेंट हो गया था | काफी प्रयासों के बाद भी उसे बचाया नहीं जा सका |
************** इतना सब हो जाने के बाद भी मधु को जीवन की क्षणभंगुरता का एहसास नही हुआ था | हालाँकि उसने रोहन के बिजनेस को अपने हांथों में ले लिया था | और सफलता पूर्वक उसे मैनेज भी कर रही थी, परन्तु अपने पिता,भाई आदि की सलाह पर उसने महिमा की कोंख में पल रहे अपने बच्चे को नकार दिया था | एक दिन उसने महिमा को घर बुलाया –
‘ महिमा मैं चाहती हूँ कि तुम इस बच्चे के पालन-पोषण के लिए पैसा ले लो और मेरी जिन्दगी से दूर चली जाओ |’ मधु ने कहा तो महिमा सकते में आ गयी |
‘ यह क्या कह रही हैं आप ‘ आश्चर्य मिश्रित स्वर में महिमा ने कहा |
‘ जब रोहन ही नही रहा तो इस बच्चे को लेकर मैं अपनी जिन्दगी बर्बाद नहीं करना चाहती ‘ मधु ने बिना लाग-लपेट के अपनी बात कह दी |
‘ माँ का गौरव पाने में यदि जिन्दगी बर्बाद होती है , तो शायद दुनिया की कोई लडकी माँ नही बनना चाहती , फिर यह बच्चा रोहन की निशानी है | कोंख मेरी जरुर है पर जैविक माँ आप ही हैं|’ महिमा ने कहा, परन्तु मधु पर इसका कोई प्रभाव नही पड़ा | वह बच्चे को लेकर अपने मकसद में कामयाब नही हो सकती थी , उसका इरादा दूसरा विवाह करने का था |
मधु :– ‘ तुम्हे मैंने यहाँ भाषण देने नही बुलाया है | कीमत बोलो , क्या लोगी इस बच्चे को लेने का |’
‘ तुमने मुझे अपने ‘एग’ देकर बहुत पहले ही इसे अपनाने की कीमत दे दी है | मुझे कुछ नही चाहिए |’ इतना कह महिमा तेज कदमों से वहां से चल दी | घर पहुँचाने पर जब सारी बातें श्यामू को मालूम हुयी तो वह ख़ुशी से झूम उठा |
‘ महिमा , भगवान जब देता है तब छप्पर फाड़ कर देता है |’
‘ क्या मतलब है आपका |’
‘ तुम्हारी कोंख में मेरा बच्चा पल रहा है’ श्यामू ने रहस्य पर से पर्दा उठा दिया था |
‘ हाँ महिमा, रोहन ने मुझसे वचन लिया था कि यह बात मैं किसी को न बताऊँ |’
‘ परन्तु ऐसा कैसे हुआ ?’
‘ क्योंकि रोहन के स्पर्म डैमेज थे …………’फिर परत-दर-परत रहस्य से पर्दा उठता गया |
श्यामू ने पुनः कहना प्रारंभ किया –‘ महिमा , इस बच्चे में ‘ एग ‘ अवश्य मधु के हैं परन्तु स्पर्म मेरे और कोंख तुम्हारी है , माँ वही होती है जो प्रसव पीड़ा को महसूस करे, उसे पाले -पोसे | कानूनन भी मैं जैविक पिता हूँ इस नाते यह मेरा बच्चा, और तुम मेरी पत्नी हो इसलिए यह हमारा बच्चा है |’
महिमा मधु कि नादानी से व्यथित अवश्य थी परन्तु वह औलाद के सुख की कल्पना से खुश थी | वह नियमित रूप से अपना चेक-अप कराती रही और निश्चित समय पर एक सुन्दर बेटे को जन्म दिया था उसने |

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